Celebrated In: India
Celebrated By: Hindu (Hindu)
ऐसी आस्था है कि कलयुग में भी 8 चिरंजीव देवता और महापुरुष जीवित हैं. इन्ही महापुरषों में एक भगवान् विष्णु के छठे अवतार परशुराम हैं, जिनकी जयंती अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है. भगवान परशुराम का जन्म सप्तऋषि में प्रथम भृगुश्रेष्ट महर्षि जमदग्नि के द्वरा पुत्रेष्टि यज्ञ के माध्यम से देवराज इंद्रा के आशीर्वाद से माँ रेणुका के गर्भ से वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, जिसे हम अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते है. उनका जन्म सतयुग में हुआ था, उनके जन्म दिन के उपलक्ष्य में परशुराम जयंती मनाई जाती है.
पौराणिक कथाओं में परशुराम के गुस्से की कई कहानियां प्रचलित हैं. ऐसा कहा जाता है कि एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. मान्यता है कि भगवान् परशुराम का जन्म छह उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. उन्होंने अपने बल से आर्यों के शत्रुओं का नाश किया. हिमालय के उत्तरी भू-भाग, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, ईराक, कश्यप भूमि और अरब में जाकर शत्रुओं का संहार किया.
परशुराम ने भारतीय संस्कृति को आर्यन यानी ईरान के कश्यप भूमि क्षेत्र और आर्यन यानि इराक में नयी पहचान दिलाई.
हिंदू धर्म ग्रंथों में कुछ महापुरुषों का वर्णन है जिन्हें आज भी अमर माना जाता है। इन्हें अष्टचिरंजीवी भी कहा जाता है। इनमें से एक भगवान विष्णु के आवेशावतार परशुराम भी हैं-
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण।
कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन।।
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
इस श्लोक के अनुसार अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम तथा ऋषि मार्कण्डेय अमर हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम वर्तमान समय में भी कहीं तपस्या में लीन हैं। भगवान परशुराम का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है जैसे रामायण, महाभारत, श्रीरामचरितमानस आदि।
रामायण तथा श्रीरामचरितमानस में भगवान परशुराम का श्रीराम व लक्ष्मण से विवाद का वर्णन मिलता है वहीं महाभारत में पितामह भीष्म के साथ युद्ध का वर्णन है।