Celebrated In: India
Celebrated By: (Hindu)
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहते है, जिसे अत्यंत शुभ फलदायी और कल्याणकारी तिथि माना गया है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की विशेष पूजा के साथ व्रत-उपवास किया जाता हैं। मोहिनी एकादशी के उपवास से मोह के बंधन खत्म हो जाते हैं, इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहते हैं।
ऐसी भी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी व्रत करने से व भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति बुद्धिमान होता है, उसकी सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है, व्यक्तित्व में प्रखरता आती है और शाश्वत शांति भी प्राप्त होती है। इस दिन जो श्रद्धालु व्रत रखते है मोहिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से वे मोहजाल तथा पातक समूह से मुक्ति पा जाते हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन समुद्र मंथन से अमृत प्रकट हुआ था। इसके दूसरे दिन यानी द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। त्रयोदशी तिथि को भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृतपान करवाया था। इसके बाद चतुर्दशी तिथि को देव विरोधी दैत्यों का संहार किया और पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हुआ था।
मोहिनी एकादशी व्रत और पूजन विधि :
मोहिनी एकादशी के दिन साधक या व्रती को मन से भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। एकादशी के दिन सूर्योदय काल में जल में हल्दी डालकर, स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प ले। संकल्प के उपरांत षोडषोपचार मन्त्र सहित श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को अक्षत, पीले मौसमी फल या पीले रंग की मिठाई, नारियल और मेवे का भोग लगाएं, पीले वस्त्र अर्पित करें। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। दूध में केसर मिलाकर भी भगवान विष्णु का अभिषेक कर सकते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी की माला पहनानी चाहिए।
विष्णु भगवान के सम्मुख बैठकर भगवद् कथा का पाठ, नारायण स्तोत्र का तीन बार पाठ, विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ, श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना अच्छा माना जाता है। एक आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ राम रामाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्णु की आरती उतारें। एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं।
मोहिनी एकादशी के दिन निराहार रहना चाहिए। अगर ये संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। शाम को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। एकादशी की सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें। रात्रि के समय श्री हरि का स्मरण करते हुए, भजन कीर्तन करना चाहिए।
फिर द्वादशी को सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा कर ब्राह्मण को दान आदि करके व्रत खोले। निर्धन को अन्न का दान करने और जरुरतमंंदों को भोजन कराने से भगवान प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति विधि-विधान से भगवान विष्णु की साधना करते हुए मोहिनी एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है, उसे वर्षों की तपस्या का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन किए गए पूजन पाठ से सभी परेशानियां और सभी तरह के मोह दूर होते हैं।