सबसे कम उम्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला यूसफजई द्वारा किये गए महान कार्यों की सराहना के लिए मलाला डे मनाया जाता है।
दरअसल 12 जुलाई को पाकिस्तानी मूल की युवती मलाला यूसफजई ने लड़कियों की शिक्षा पर एक विशेष भाषण संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दिया था। मलाला का ये मशहूर भाषण इतना अधिक प्रभावशाली था कि इस भाषण के बाद यूएन मुख्यालय में उपस्थित सभी सदस्यों ने तालियां बजाकर उनकी सराहना की थी। जब मलाला यूसफजई ने ये भाषण दिया था उस समय उनकी उम्र महज 16 साल थी। जिसके बाद मलाला को खूब प्रसिद्धि मिली और दुनिया भर में मलाला यूसफजई अपने विचारों को फैलाते हुए अनेकों भाषण दिए।
मलाला यूसफजई का जन्म 12 जुलाई सन 1997 को पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ था। मलाला के पिता जियादुददीन युसूफजई एक शिक्षक थे। मलाला जिस जगह रहती थी वहां लड़कियों को स्कूल भेजने का प्रचलन नहीं था, लेकिन छोटी सी उम्र से ही मलाला अपने बड़े भाई का हाथ पकड़कर स्कूल जाने लगी थी और खूब मन लगाकर पढ़ाई करती थी।
उन्ही दिनों तालिबान ने अफगानिस्तान से आगे बढ़कर पाकिस्तान में अपना हस्तक्षेप स्वात के कई इलाकों में बढ़ा दिया और वहां के स्कूलों को तबाह करना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि 2001 से 2009 के बीच उन्होंने लगभग 400 स्कूल तोड़ दिए, इनमें से 70 प्रतिशत स्कूल लड़कियों के थे। साथ ही वहां पर उन्होंने भय का कुछ ऐसा माहौल बना दिया कि लड़कियों के स्कूल जाने के साथ ही बाहर जाने तक पर रोक लगा दी थी।
उस समय मलाला यूसफजई लगभग 11 साल की थी और उस छोटी उम्र में ही उन्होंने बीबीसी के लिए ब्लॉग लिखने शुरू कर दिए थे। अपने ब्लॉग्स में वह लिखती थीं कि तालिबानी दहशत के साये में जीवन कैसा होता है। मलाला का नजरिया लड़कियों और महिलाओं की जिंदगी को बयां करने के इर्द गिर्द रहता था।
महज 11 साल की नन्ही सी मलाला अपने क्रन्तिकारी विचारो के कारण तालिबान के निशाने पर आ गई थी। जिसके बाद 09 अक्तूबर 2012 को तालिबानी दहशतगर्दों ने परीक्षा देकर लौट रही चौदह साल की मलाला युसूफजई को उसकी स्कूल बस में घुसकर सिर पर गोली मार दी थी।
इस हमले के बाद मलाला यूसफजई का इलाज पहले पाकिस्तान और फिर लंदन में कराया गया। साहस और हिम्मत से भरी मलाला आख़िरकार अपने जीवन की ये जंग जीत गयी। मलाला यूसफजई को सन 2014 में भारत के बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। मलाला ने तब तक के रिकॉर्ड में सबसे कम उम्र में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल जीता था। केवल नोबेल ही नहीं मलाला की उम्र और हौसले को देखते हुए उनको अन्य भी कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
12 जुलाई को 'मलाला डे' के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा खास दिन है जो महिलाओं के लिए संघर्ष की प्रेरणा देने वाले दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ने 'मलाला डे' घोषित किया। इसीलिए हर साल 12 जुलाई को 'मलाला डे' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मलाला अपना जन्मदिन भी मनाती हैं।