जम्मू कश्मीर में बलराम जयंती या हल छठ व्रत को चन्दन षष्ठी व्रत के रूप में विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है। चन्दन षष्ठी के व्रत को विवाहित तथा अविवाहित सभी स्त्रियां कर सकती है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखकर विशेष रूप से सूर्य एवं चंद्रमा की पूजा करती है। चन्दन षष्ठी व्रत की कथा कह कर के अथवा सुनकर के रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन प्रसाद ग्रहण करती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी व्रती ने चन्दन षष्ठी व्रत का उद्यापन किया है तो वह फिर किसी भी व्रत का उद्यापन कर सकती है। जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले इस व्रत का उद्यापन करना होता है, क्योंकि मासिक धर्म की अवधि में स्त्रियों द्वारा स्पर्श, अस्पर्श, भक्ष्य, अभक्ष्य इत्यादि दोषों के परिहार के लिए चन्दन षष्ठी व्रत के उद्यापन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
चन्दन षष्ठी व्रत के विषय में कहा जाता है कि इस व्रत के उद्यापन में विशेष रूप से 6 मंत्रो का हवन अवश्य करें।