हरियाली तीज में महिलाएं सोलह श्रंगार कर मां गौरी-भगवान शिव का पूजन करती है. जिससे उनके पति की लंबी आयु हो. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सभी औरतें सोलह श्रंगार कर मां गौरी और भगवान शिव का पूजन करती है तथा अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है.
ज्योतिष् शास्त्र के अनुसार, तृतीया तिथि का विशेष नाम सबला है. यह बलवान तिथि मानी जाती है. इस तिथि को जया तिथि भी कहते है तथा इसकी स्वामी गौरी है. तृतीया आरोग्यदात्री अर्थात तृतीया तिथि आरोग्य देने वाली है.
धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है की मां गौरी ने भगवान शंकर से विवाह करने के लिए 108 बार जन्म लिया और 108 वे वर्ष में 100 वर्षों तक निर्जल रह कर और केवल हवा का सेवन कर भगवान शिव की कठोर तपस्या कर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त किया था.
शास्त्रों के अनुसार तभी से यह प्रथा है, कि जो भी स्त्री पूरी शुद्धता, सात्विकता और पवित्रता से भगवान शंकर एवं माँ गौरी की आराधना श्रद्धा व विश्वास से करती है उनको माता पार्वती और भोले नाथ प्रसन्न होकर उनके पति की दीर्घायु का वरदान देते है। जिस कुंवारी कन्या के विवाह में विलंब हो रहा हो या जो अपनी इच्छा से अपना मनपसंद वर पाना चाहती है वह यदि पूरी आस्था के साथ तन, मन, धन से समर्पित हो कर इस हरियाली तीज़ का व्रत करती है तो उसकी हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सुभद्रा ने इस व्रत को करके अर्जुन को वर रूप में प्राप्त किया था.
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