तीज उत्सव की परंपरा - तीज के दिन माता पार्वती को सौ वर्षो की साधना के बाद शिवजी मिले थे. इसे श्रावणी तीज, हरियाली तीज या कजरी तीज भी कहते हैं. जयपुर में बड़े धूमधाम के साथ तीज माता उत्सव मनाया जाता है. जयपुर में राजाओं के समय से पार्वती जी की प्रतिमा जिन्हें तीज माता कहा जाता है, की पूजा होती है.
इस पर्व से कुछ दिन पहले पार्वती की प्रतिमा को दोबारा रंगा जाता है और त्योहार वाले दिन नए वस्त्रों से सजाया जाता है. इस दिन, जयपुर में तीज जुलूस निकाली जाती है. हजारों श्रद्धालु माता की झलक तथा उनका आशीर्वाद पाने के लिए तरसते हैं. हरियाली तीज के दिन वर्षा होना बहुत शुभ माना जाता है. इसलिए लोग बारिश की फुहार की कामना करते हैं.
हरियाली तीज पर अखंड सौभाग्य की कामना का विशेष धार्मिक महत्व है. इसे लेकर एक धार्मिक लोककथा भी प्रचलित है. जिसके अनुसार पौराणिक काल में देवी पार्वती भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए व्रत रखती हैं. उन्होंने सौ वर्षों की कठोर तपस्या के बाद इसी दिन उन्हें प्राप्त किया था. इसी कारण, विवाहित महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. इसे अविवाहित कन्याएं भी योग्य वर प्राप्त करने के लिए रखती हैं.
The Sheetla Mata Fair of Chaksu, Rajasthan is dedicated to Sheetla Mata, goddess of epidemic dise...
The Rash Mela was the brainchild of a number of locals, said Mr Prabhash Dhibar, a 72-year-old...
Gogamedi Fair is one of the important festivals locally celebrated to remember the Serpent God...
The Bahu Mela is celebrated in honor of the Goddess Kali whose temple lies in the Bahu Fort. T...
Garhmukteshwar is holy place, situated at the bank of holy river Ganga. Garhmukteshwar is famo...
The history behind the Nauchandi Mela is debatable; some say that it began as a cattle fair wa...
Dadri fair is one of the largest fairs. The fair site is located at a distance of about 3 km f...