हरियाली तीज के दिन स्त्रियां अपने हाथों पर तरह-तरह की मेंहदी लगाती हैं. वास्तव में, यह कोई धार्मिक त्योहार नहीं है बल्कि प्रकृति का उत्सव मनाने का दिन है. उत्तर भारत में सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. इस समय मौसम में प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर बिछा देती है. प्रकृति के इस सुंदर नजारे को देखकर हर किसी का मन खिल उठता है. यही कारण है कि इस मौके पर मनाए जाने वाले इस त्योहार को ‘हरियाली तीज’ कहते हैं.
तीज पर लगाए जाते हैं झूले :
हरियाली तीज के मौके पर जगह-जगह झूले लगाए जाते हैं. साथ ही, नृत्य-संगीत का आयोजन भी किया जाता है. इस पर्व की तैयारी वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू हो जाती है. सावन के महीने में आसमान में काले बादल छाये होते हैं और वर्षा की बौछारें पड़ने लगती हैं. इस त्योहार के मौके पर स्त्रियां अपने हाथों में तरह-तरह की मेंहदी लगाती हैं.
वास्तव में, यह कोई धार्मिक त्योहार नहीं बल्कि महिलाओं का एक साथ मिलकर उत्सव मनाने का दिन है. इस दिन सभी स्त्रियां मिलकर बागों में झूले पर झूलती और कजरी गाती हैं. सुहागन सुहागी पकड़कर सास के पांव छूती हैं और सुहागी के रूप में उन्हें कपड़े और पैसे देती हैं. अगर सास नहीं हैं तो जेठानी या किसी अन्य बुजुर्ग महिला को सुहागी दी जाती है. हरियाली तीज के दिन कई स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है.
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