आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितरों को तृप्त करने का उचित समय माना जाता है। इस कारण इसे पितृपक्ष भी कहते हैं। पंद्रह दिन तक चलने वाले इस पक्ष में लोग अपने पितरों को जल प्रदान करते हैं एवं उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध रखते हैं।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपने पित्रों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती इस समस्या के समाधान के लिए पितृपक्ष में कुछ विशेष तिथियां भी भी होती हैं जिस दिन श्राद्ध करने से हमारे सभी पितृजनों की आत्मा को शांति मिलती है। ये मुख्य तिथियां निमंलिखित हैं-
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा श्राद्ध - इस तिथि पर नाना नानी का श्राद्ध करना उतम माना गया है। यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो और उनकी मृत्युतिथि भी ज्ञात न हो तो इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है। और इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
People of the village of Vithappa in Karnataka hold the Sri Vithappa fair in honor of the epon...
The Yellamma Devi fair is held at the Yellamma temple located in Saundatti of Belgaum district...
Matki Mela is organized on the last day of 40 day fast. People keep fast till they immer...
Baba Sodal Mela occupies a prominent place in the list of fairs in Punjab. The fair is held to pa...
The day of Kartik Purnima is often referred to as Raas Purnima in West Bengal when Raas Leelas...
Nanda Devi Raj Jat is one of the world-famous festivals of Uttarakhand in India. People...